देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज़ाना बदलती रहती हैं। हर राज्य में इनकी दरें अलग-अलग होती हैं, जो मुख्य रूप से टैक्स और अन्य स्थानीय कारकों पर निर्भर करती हैं। इस लेख में हम उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार और पहाड़ी इलाकों में पेट्रोल-डीजल की ताजा कीमतों के साथ यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों हर राज्य में इनकी दरें अलग-अलग होती हैं।
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल-डीजल की कीमत
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल की औसत कीमत 95.09 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल की कीमत 88.23 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई है। यह राज्य के भीतर अलग-अलग जिलों में थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन औसत दरें इतनी ही हैं।
दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमत
राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की औसत कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की औसत कीमत 87.67 रुपये प्रति लीटर है। दिल्ली में अन्य राज्यों के मुकाबले कीमतें थोड़ी कम हैं क्योंकि यहां का टैक्स स्ट्रक्चर तुलनात्मक रूप से सरल और कम है।
बिहार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें सबसे अधिक
बिहार में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक हैं। यहां पेट्रोल की औसत कीमत 106.25 रुपये प्रति लीटर और डीजल की औसत कीमत 93.04 रुपये प्रति लीटर है।
यह उच्च कीमतें राज्य सरकार द्वारा लगाए गए अधिक टैक्स और परिवहन लागत की वजह से हैं।
हरियाणा में पेट्रोल-डीजल की दरें
हरियाणा में पेट्रोल की औसत कीमत 95.36 रुपये प्रति लीटर और डीजल की औसत कीमत 88.19 रुपये प्रति लीटर है। हरियाणा में औद्योगिक क्षेत्रों की अधिकता के कारण ईंधन की खपत ज्यादा होती है, जिससे यह कीमतें प्रभावित होती हैं।
पहाड़ी इलाकों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें
उत्तराखंड:
उत्तराखंड में पेट्रोल की औसत कीमत 93.94 रुपये प्रति लीटर और डीजल की औसत कीमत 88.81 रुपये प्रति लीटर है।
हिमाचल प्रदेश:
हिमाचल प्रदेश में पेट्रोल की औसत कीमत 94.39 रुपये प्रति लीटर और डीजल की औसत कीमत 86.72 रुपये प्रति लीटर है।
पहाड़ी इलाकों में कीमतें परिवहन लागत और टैक्स पॉलिसी के कारण प्रभावित होती हैं। इन इलाकों में ईंधन की आपूर्ति में अधिक खर्च होता है, जिससे कीमतें तुलनात्मक रूप से अधिक रहती हैं।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अंतर के कारण
1. वैट (VAT):
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सबसे बड़ा अंतर वैट के कारण होता है। हर राज्य सरकार अपना अलग वैट लागू करती है, जिससे कीमतें एक राज्य से दूसरे राज्य में बदलती रहती हैं।
2. परिवहन लागत:
जिन राज्यों या इलाकों में ईंधन का परिवहन अधिक महंगा होता है, वहां कीमतें बढ़ जाती हैं। जैसे, पहाड़ी इलाकों में आपूर्ति की लागत अधिक होती है।
3. केंद्र और राज्य कर:
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाती है, जबकि राज्य सरकारें वैट और अन्य कर लगाती हैं। इन दोनों के सम्मिलन से अंतिम कीमत तय होती है।
4. स्थानीय मांग:
किसी राज्य या क्षेत्र में ईंधन की मांग का स्तर भी कीमतों को प्रभावित करता है। ज्यादा मांग वाले इलाकों में कीमतें अधिक हो सकती हैं।
कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
- अंतरराष्ट्रीय बाजार: कच्चे तेल (Crude Oil) की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भारत में पेट्रोल-डीजल की दरों को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।
- रुपया-डॉलर का विनिमय दर: डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत भी पेट्रोल-डीजल की लागत पर असर डालती है।
- रिफाइनिंग और डिस्ट्रीब्यूशन: कच्चे तेल को रिफाइन करके पेट्रोल और डीजल में बदलने और इसे वितरण करने की लागत कीमत में जुड़ती है।
- कर: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कर कीमत का बड़ा हिस्सा होते हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
1. टैक्स का एकीकरण:
अगर पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर समान टैक्स प्रणाली लागू करें, तो कीमतों में समानता लाई जा सकती है।
2. वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत:
इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देकर पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम की जा सकती है।
3. कच्चे तेल की निर्भरता कम करना:
अगर भारत अपनी कच्चे तेल की आयात निर्भरता को कम करे, तो कीमतें स्थिर हो सकती हैं।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें राज्यों में अलग-अलग होती हैं, जो मुख्य रूप से टैक्स और परिवहन लागत जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं। बिहार जैसे राज्यों में जहां टैक्स ज्यादा है, वहां कीमतें अधिक हैं, जबकि दिल्ली जैसे क्षेत्रों में दरें तुलनात्मक रूप से कम हैं।
वर्तमान समय में बढ़ती कीमतें आम आदमी के बजट पर प्रभाव डाल रही हैं। सरकार को टैक्स प्रणाली में सुधार और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाने चाहिए ताकि ईंधन की लागत को कम किया जा सके।