भारत में सोने के गहनों का आकर्षण और प्रेम किसी से छिपा नहीं है। भारतीय संस्कृति में सोने का खास महत्व है, और इसकी खरीदारी को शुभ माना जाता है। लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने सोने और कीमती पत्थरों से बने कुछ विशेष प्रकार के गहनों के आयात पर अंकुश लगाने का फैसला किया है। अगर आप भी सोने के गहनों में रुचि रखते हैं, तो ये खबर आपके लिए जानना जरूरी है। आइए जानते हैं कि सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया और इसका प्रभाव क्या होगा।
क्या है नया नियम?
केंद्र सरकार ने हाल ही में विशेष प्रकार की गोल्ड ज्वैलरी, जिसमें कीमती पत्थरों और रत्नों से जड़े हुए गहने शामिल हैं, के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम उन गहनों के आयात को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है, जो मोती, स्टोन, हीरे, और अन्य कीमती रत्नों से बने होते हैं। इन गहनों को अब ‘रेस्ट्रिक्टेड कैटेगरी’ में रखा गया है। इसका मतलब है कि इस प्रकार के गहनों को अब बिना अनुमति के आयात नहीं किया जा सकेगा। इनकी आयात के लिए अब लाइसेंस की जरूरत होगी, जिसे सरकार की स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।
किस तरह की गोल्ड ज्वैलरी पर लगी है पाबंदी?
सरकार के नए नियम के तहत, वे गहने जो मोती, विशेष प्रकार के हीरे, और अन्य कीमती पत्थरों से सजे हैं, अब आसानी से आयात नहीं किए जा सकेंगे। पहले ये गहने ‘फ्री कैटेगरी’ में थे, यानी इनके आयात पर कोई विशेष नियंत्रण नहीं था। लेकिन अब इन्हें ‘रेस्ट्रिक्टेड कैटेगरी’ में डाल दिया गया है। इस नई व्यवस्था के तहत अब ये गहने बिना लाइसेंस के आयात नहीं किए जा सकेंगे।
क्यों लिया गया ये निर्णय?
सरकार ने ये कदम घरेलू बाजार और घरेलू कारीगरों के हित में उठाया है। कुछ समय से भारत में इंडोनेशिया और तंजानिया जैसे देशों से इस प्रकार के गहनों के आयात में तेज वृद्धि देखी गई थी, जो घरेलू बाजार में सोने की मांग को प्रभावित कर रही थी। इसका असर भारतीय कारीगरों की आजीविका पर भी पड़ा, क्योंकि विदेशों से आयात होने वाले सस्ते गहने भारतीय गहनों की बिक्री को कम कर रहे थे। सरकार ने इन स्थितियों को देखते हुए यह सुनिश्चित किया है कि घरेलू बाजार को प्रतिस्पर्धा में नुकसान न हो, और भारतीय कारीगरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर मिल सकें।
घरेलू कारीगरों को मिलेगा लाभ
सरकार के इस फैसले से घरेलू कारीगरों और ज्वैलर्स को लाभ होगा। विदेशी गहनों के आयात में कमी से भारतीय बाजार में स्थानीय रूप से बने गहनों की मांग बढ़ेगी। भारतीय ज्वैलर्स और कारीगर अपनी कला के जरिए अधिक बिक्री कर सकेंगे, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत, कुछ खास गहनों पर टैरिफ रेट कोटा (TRQ) का प्रावधान है। इसका मतलब है कि UAE से आने वाले कुछ विशेष प्रकार के गहनों पर आयात शुल्क कम होगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि FTA के बावजूद भी इन गहनों को ‘रेस्ट्रिक्टेड कैटेगरी’ में रखा गया है। यानी TRQ के तहत आयात करने के लिए भी अनुमति प्राप्त करनी होगी।
भारत का गोल्ड इंपोर्ट
भारत में सोने की खपत काफी अधिक है, और देश की आवश्यकताओं का बड़ा हिस्सा आयात के जरिए पूरा किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, भारत का सोने का आयात 30 प्रतिशत बढ़कर 45.54 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 35 अरब डॉलर था। इस प्रकार के आयात में बढ़ोतरी से देश के विदेशी व्यापार पर दबाव बढ़ता है, जिससे सरकार को ऐसा कदम उठाने की जरूरत महसूस हुई।
सोने का प्रमुख स्रोत
भारत को सोना मुख्य रूप से स्विट्जरलैंड से आयात होता है, जिसकी हिस्सेदारी कुल आयात में लगभग 40 प्रतिशत है। भारत, चीन के बाद सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारतीय लोग सोने को निवेश का सुरक्षित साधन मानते हैं, और धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर इसकी खरीदारी भी करते हैं। सरकार के इस फैसले से स्थानीय ज्वैलर्स को प्रोत्साहन मिलेगा और देश की सोने की मांग को घरेलू उत्पादन से संतुलित करने में भी मदद मिलेगी।
इस फैसले का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य देश में सोने के आयात पर नियंत्रण रखना और विदेशी व्यापार पर निर्भरता को कम करना है। इसके अलावा, इस निर्णय से भारतीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे अधिक प्रतिस्पर्धी होकर घरेलू बाजार में अपनी उपस्थिति बना सकेंगे। साथ ही, इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि सोने का आयात विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित करता है।
सोने के गहनों की कीमतों पर असर
सरकार के इस फैसले का असर सोने के गहनों की कीमतों पर भी हो सकता है। आयात प्रतिबंध के कारण कुछ विशेष प्रकार के गहनों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि विदेशी गहनों की उपलब्धता घटेगी। साथ ही, घरेलू निर्माताओं की मांग बढ़ने के कारण स्थानीय रूप से बने गहनों की कीमतों में भी थोड़ा उछाल आ सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए जरूरी जानकारी
जो उपभोक्ता सोने के गहनों के शौकीन हैं, उन्हें यह समझना होगा कि अब कुछ प्रकार के गहनों की उपलब्धता में कमी आ सकती है। अगर वे विशेष प्रकार के रत्नों और पत्थरों से बने गहनों के खरीदार हैं, तो उनके लिए ये गहने आयात में पाबंदी के कारण महंगे हो सकते हैं। हालाँकि, इससे घरेलू ज्वैलरी निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा, और भारतीय बाजार में स्थानीय उत्पादों की मांग में वृद्धि हो सकती है।
सरकार द्वारा सोने और कीमती पत्थरों से बने गहनों के आयात पर प्रतिबंध का निर्णय भारतीय कारीगरों और घरेलू उद्योग के हित में है। इससे न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी असर कम होगा। विदेशी गहनों की उपलब्धता में कमी से घरेलू ज्वैलरी उद्योग को एक नया अवसर मिलेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
इस कदम से भारत के लोग भी ‘मेड इन इंडिया’ ज्वैलरी को प्राथमिकता दे सकते हैं और भारतीय कारीगरों की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान कर सकते हैं।